ESSAY
BPSC मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में 'निबंध' (कुल अंक - 300) सबसे महत्त्वपूर्ण विषय है जिसमें आपको अच्छे अंक लाने ही होंगे l क्योंकि यह आपके Rank निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगा l Bihar Naman GS द्वारा निबंध की Classes विशेषज्ञों द्वारा ली जाती है l जिसमें शामिल शिक्षकों की विशेषज्ञता निम्न विषयों में है - पर्यावरण, दर्शन, साहित्य, भूगोल, लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान, प्रौद्योगिकी विज्ञान, भूगोल, इतिहास, साहित्य तथा संपादकीय लेखनl
इतने विशेषज्ञों से पढ़ने के बाद आपमें रचनात्मक ज्ञान का संचय होगा जिससे आप किसी भी विषय पर एक बेहतर निबंध लिख सकते हैं l
इस Class की अवधि 2-3 माह होगी l
प्यारे विद्यार्थियों,
माननीय बिहार लोक सेवा आयोग ने अपनी मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम को संशोधित करते हुए इसमें निबंध विषय को जोड़ा है। इस लेख में हमलोग यह जानने का प्रयास करेंगे कि निबंध होता क्या है? निबंध की प्रवृत्ति क्या है? और बीपीएससी के द्वारा जो निबंध के पाठ्यक्रम जोड़े गए हैं, उसमें किस प्रकृति के निबंध पूछे जा सकते हैं?
निबंध क्या है?
निबंध से तात्पर्य उस रचना से है, जिसे अच्छी तरह से बाँधा जाता है या जिसमें विचारों अथवा घटनाओं को सही क्रम देकर, गूँथ कर लिखा जाता है। निबंध गद्य में लिखा जाता है। उपन्यास, कहानी, संस्मरण आदि के समान यह भी गद्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। निबंध आकार में छोटा भी हो सकता है और बड़ा भी। दो-तीन पृष्ठों के निबंध भी लिखे जाते हैं और पच्चीस-तीस पृष्ठों के भी। निबंध का विषय कुछ भी हो सकता है। आप किसी भी वस्तु, घटना, विचार अथवा भाव पर निबंध लिख सकते हैं। आवश्यक बात यह है कि उस निबंध में आपके अपने विचार या आपके अपने अनुभव होने चाहिए। यदि आप दूसरों के विचारों को पढ़ते या सुनते भी हैं, तब भी उन्हें अपनी भाषा में प्रस्तुत करें। पढ़ने वाले को ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि आप अपनी बात या अपने विचार प्रस्तुत कर रहे हैं।
वास्तव में निबंध किसी विशेष मुद्दे पर एक छोटी साहित्यिक रचना है। निबंध शब्द को पहली बार 16वीं शताब्दी में एक फ्रांसीसी लेखक, मिशेल डी मोंटेने द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था, जिन्होंने अपने कार्यों को निबंध के रूप में वर्णित किया था। उनके लिए, ’एक निबंध उनके विचारों को लिखित रूप में रखने का उनका प्रयास था’। 19वीं शताब्दी के एक ब्रिटिश निबंधकार एल्डस हक्सले ने निबंध को निम्नलिखित शब्दों में वर्णित किया हैः ’निबंध लगभग किसी भी चीज़ के बारे में लगभग सब कुछ कहने के लिए एक साहित्यिक साधन है. परिभाषा के अनुसार, निबंध एक छोटी लेखन रचना है.’। हक्सले ने निबंधों को तीन व्यापक वर्गों में विभाजित किया-
व्यक्तिगत निबंध : यह एक प्रतिबिंबित जीवनी है जिसमें निबंधकार दुनिया को अपनी
दृष्टि से देखता है।
लक्षित, तथ्यात्मक और ठोस निबंधः यहां, लेखक सीधे अपने बारे में नहीं बोलते हैं, बल्कि किसी विषय की ओर रुख करते हैं। इस प्रकार के निबंध में, लेखन की कला में प्रासंगिक डेटा से आगे बढ़ना, निर्णय देना और सामान्य निष्कर्ष निकालना शामिल है।
सार-सार्वभौम प्रकार के निबंधः ये न तो व्यक्तिगत होते हैं और न ही वस्तुनिष्ठ निबंध; वे दर्शन की ओर झुकाव वाले अमूर्त होते हैं।
निबंध विषयों को बारीकी से अध्ययन करने के पश्चात हम इसे निम्नलिखित श्रेणियों में बांट सकते हैं-
दार्शनिक निबंध
दार्शनिक निबंध वह है जो दर्शन के एक विषय से संबंधित है और किसी विशेष थीसिस या विचार के विरुद्ध या तर्क के साथ चिंतनशील और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से संपर्क किया जाता है। अन्य प्रकार के कार्यों के विपरीत, दार्शनिक निबंध गहन और विश्लेषणात्मक है, क्योंकि यह केवल राय, तथ्यों या विश्वासों को उजागर करने से नहीं रोकता है, बल्कि अपने स्वयं के तर्कों द्वारा समर्थित विचारों को व्यक्त करता है। किसी भी निबंध की तरह, इसमें एक व्यक्तिगत या व्यक्तिपरक शैली होती है। यह विषय को एक तार्किक और दिलचस्प दृष्टिकोण के साथ पेश करता है और इसका उद्देश्य सकारात्मक होता है। दार्शनिक निबंध में यह दिखना चाहिए कि लेखक को (अभ्यर्थी जो मुख्य परीक्षा दे रहे होते हैं) विषय या समस्या की गहन समझ है और यह भी कि उसमें, इसके बारे में गंभीर रूप से विचार करने और एक परिकल्पना को ठीक से प्रस्तुत करने की क्षमता है।
दार्शनिक निबंधों का प्रयास कैसे करेंः इसका उत्तर पढ़ने की आदतों को व्यापक बनाने में है। जब तक आप सुकरात, प्लेटो, अरस्तू जैसे प्रसिद्ध दार्शनिकों के विचारों से परिचित नहीं होंगे, तब तक आप किसी दिए गए विषय पर अच्छी सामग्री नहीं बना सकते। दार्शनिकों के अलावा, किसी को भी आधुनिक विचारकों मार्टिन लूथर किंग, गांधी, नेल्सन मंडेला, अब्दुल कलाम आदि जैसे राजनेता से अच्छी तरह परिचित होने की आवश्यकता है। प्राचीन सम्राटों और अशोक, कौटिल्य आदि जैसे राजनेताओं को पढ़ने से भी निबंध के विषय पर विचारों की व्यवस्थित अभिव्यक्ति में मदद मिलेगी।
सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर निबंध
कुछ निबंध इस श्रेणी में आएंगे। जैसे - बाल मजदूरी पर निबंध, भ्रष्टाचार पर निबंध, महिला सशक्तिकरण पर निबंध, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध, भ्रूण हत्या पर निबंध, गरीबी पर निबंध, स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध, स्वच्छता पर निबंध, बाल स्वच्छता अभियान पर निबंध, राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध, आतंकवाद पर निबंध, सड़क सुरक्षा पर निबंध, असहिष्णुता पर निबंध, जल बचाओ पर निबंध, वर्षा जल संचयन पर निबंध, सुगम्य भारत अभियान पर निबंध, बेटी बचाओ पर निबंध, कैशलेस इंडिया पर निबंध, जाति व्यवस्था पर निबंध आदि। सौभाग्य से, ये विषय उम्मीदवारों को परिचित लगते हैं क्योंकि वे सार्वजनिक प्रवचन में अक्सर दिखाई देते हैं। हालांकि, इन विषयों पर एक संरचित निबंध लिखना इन विषयों के बारे में जानने से अलग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपको विभिन्न दृष्टिकोणों से पितृसत्ता, सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों की जांच करनी होगी। उदाहरण देना होगा और समाधान निर्धारित करना होगा। सामाजिक, आर्थिक विषय पर समग्र दृष्टिकोण तभी संभव है जब आप अपने निबंध को बहुआयामी बनायें।
सामाजिक और आर्थिक विषयों पर निबंधों का प्रयास कैसे करेंः आपको महिलाओं, बच्चों, कमजोर वर्गों और गरीबों को कवर करने वाले सामाजिक मुद्दों की सूची बनानी चाहिए। साथ ही दहेज, ड्रग्स, शराब आदि जैसी सामाजिक बुराइयों पर ध्यान देना चाहिए। इसी तरह, आर्थिक मुद्दों जैसे आय असमानता, महामारी से प्रेरित वित्तीय तनाव, वैश्वीकरण के प्रतिकूल प्रभाव, सार्वभौमिक बुनियादी आय आदि को ध्यान में रखा जाना चाहिए. प्रत्येक सप्ताह आपको किसी सामाजिक या आर्थिक मुद्दे पर संभावित विषय पर विचार करना चाहिए और उसकी तैयारी करनी चाहिए।
राजनीतिक विषयों पर निबंध
इस श्रेणी के अंतर्गत संभावित विषय लोकतंत्र, भारत के लिए संसदीय लोकतंत्र की उपयुक्तता, संघवाद, लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका, न्यायपालिका से संबंधित मुद्दे, पंचायती राज की भूमिका आदि शामिल हैं।
राजनीतिक मुद्दों पर निबंध की तैयारी कैसे करेंः सबसे पहले, किसी विशेष विषय से निबंध विषयों को सूचीबद्ध करना चाहिए। उदाहरण के लिए लोकतंत्र पर लोकतांत्रिक घाटा, सत्तावादी लोकतंत्र, लोकतंत्र के लिए वैश्विक गठबंधन निबंध विषय हो सकते हैं। इसी तरह, संघवाद पर ये विषय हो सकते हैं- सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद, राजकोषीय संघवाद, जबरन संघवाद। एक बार विषयों का चयन करने के बाद, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और पुस्तकों में अच्छे सम्पादकीय लेख को पढना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर निबंध
अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर निबंध अभ्यर्थियों के भौतिक ज्ञान तथा वैश्विक ज्ञान की क्षमताओं की जांच करता है। यह भारतीय विदेश नीति, या अंतरराष्ट्रीय निकायों की भूमिका या वर्तमान विश्व व्यवस्था से संबंधित होता है। जिन संभावित विषयों पर निबंध पूछे जा सकते हैं, वे हैंः वर्तमान विश्व व्यवस्था, एक उभरती हुई बहुध्रुवीय दुनिया की रूपरेखा, डिग्लोबलाइजेशन, जलवायु परिवर्तन आदि।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर विषयों की तैयारी कैसे करेंः वैश्विक मुद्दों के लिए समाचार पत्र सबसे अच्छे स्रोत हैं। हालाँकि, अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नवीनतम पुस्तकों को पढ़ने से आपकी अवधारणाएं जुड़ जाएंगी। साथ ही निम्नलिखित पुस्तकों की सिफारिश की जाती हैः- शशि थरूर द्वारा द न्यू वर्ल्ड डिसॉर्डर एंड द इंडियन इम्पेरेटिव, शिवशंकर मेनन द्वारा लिखित भारत और एशियाई भू-राजनीति, और एस जयशंकर की द इंडिया वे।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर निबंध
निबंध विषय में हमेशा विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित विषय शामिल होते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी, स्पेस टेक्नोलॉजी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में वर्तमान विकास निबंध पेपर के लिए बिहार लोक सेवा आयोग के चुनिंदा और पसंदीदा विषय हो सकते हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित निबंध कैसे तैयार करेंः यह याद रखना चाहिए कि केवल वैज्ञानिक विकास का ज्ञान निबंध लिखने में मदद नहीं कर सकता है। उनके नैतिक, नैतिक आयामों की जांच करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) विकास ने कई नैतिक प्रश्न उठाए है। केवल तकनीकी विकास की व्याख्या करने के बजाय उन प्रश्नों को निबंध में संबोधित किया जाना चाहिए।
निबंध की विशेषताएं
(1) संक्षिप्तता - संक्षिप्तता को निबंध का आवश्यक धर्म माना गया है। एक निबंधकार की सफलता तब प्रदर्शित होती है जब वह अपने विषय का उद्घाटन ‘निबंध’ में संक्षिप्तता एवं लघुता के साथ करता है। अनावश्यक विस्तार एवं व्यापक विवेचन निबंध को बोझिल बनाता है। निबंध का आकार सीमित होता है किन्तु यहाँ लघु आकार अथवा संक्षिप्तता से तात्पर्य है कि निबंधकार अपने-आप में स्वतंत्र होकर, चिंतन तथा मन की अनिवार्यताओं का ग्रहण कर विवेच्य पक्षों एवं बिन्दुओं को गंभीरतापूर्वक यथासंभव संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
(2) वैयक्तिकता - स्वभावतः ‘निबंध’ में निबंधकार का व्यक्तित्व प्रतिबिंबित होता है। निबंधकार की रुचियों, मनः स्थितियों, विचारधारा तथा दृष्टिकोण का प्रभाव अभिन्न रूप से निबंध में रहता है और यही विशेषता ‘वैयक्तिकता’ की ओर संकेत करती है। निबंध के जनक ‘मोन्तेन’ द्वारा वैयक्तिकता-रहित निबंध के अस्तित्व की कल्पना मात्र को भी स्वीकार नहीं किया गया। साथ ही व्यक्तित्व के इसी महत्त्व के कारण हड़सन ने भी निबंध में वैयक्तिकता की अनिवार्यता का प्रतिपादन किया है। अतः यह निबंध की परमावश्यक विशेषता है।
(3) रोचकता व आकर्षण - निबंध की लोकप्रियता हेतु उसमें रोचकता तथा आकर्षण का समन्वय अत्यावश्यक है। आमोद-प्रमोद, हास-परिहास तथा भावात्मकता का समुचित निवेश निबंध में रोचकता व आकर्षण का आश्रय-स्थल है। साथ ही भाषा एवं शैली के उत्कृष्ट प्रयोग - बिन्दु यथा - सहज एवं स्वाभाविक अलंकरण, लोकोक्तियों तथा मुहावरों का प्रयोग, शब्द-शक्तियों का चमत्कृति एवं कलात्मकता के साथ सम्मिश्रण तथा उत्कृष्ट शब्दावली द्वारा निबंधकार की नैसर्गिक प्रतिभा उजागर होती है। साथ ही इससे निबंध में रोचकता व आकर्षण का परिदर्शन भी होता है।
(4) मौलिकता - विचार तथा शैली में विशिष्ट प्रयोग साहित्य में ‘मौलिकता’ की ओर इंगित करते हैं। निबंधकार प्राचीन एवं शास्त्रीय-परम्परा से विचार करता हुआ भी वर्ण्य-विषयवस्तु का सहज-विश्लेषण मौलिकता के साथ करता है। सर्वथा विविधता एवं नवीनता का ग्रहण किए हुए निबंधकार कलात्मक अभिव्यंजनापूर्ण अपनी प्रस्तुति सहृदय-पाठक के समक्ष देता है।
(5) स्वात्मपूर्णता - निबंध में किसी एक विषय अथवा विषयांश का प्रस्तुतीकरण होता है तथापि वह केन्द्रित विषय अपने-आप में पूर्णता को व्यक्त करता है। इस सन्दर्भ में डॉ. जयनाथ ‘नलिन’ का वक्तव्य प्रासंगिक है- ‘‘निबंध में प्रबन्ध की पूर्णता क्यों तलाश करते हो? उसके अपने स्वरूप के साथ उसकी अपनी पूर्णता है। कहानी में क्या उपन्यास की पूर्णता खोजेंगे? निबंध में तारतम्य, सन्तुलन और पूर्णता सभी कुछ रहेगा, नहीं तो इसका स्वरूप खण्डित हो जाएगा।’’
(6) प्रभावोत्पादकता - सामान्यतः ‘निबंध’ में हृदय और मस्तिष्क दोनों को प्रभावित करने का सामर्थ्य होना चाहिए। वस्तुतः विनोद-मात्र का साधन न होकर, उसमें गम्भीर-चिन्तन एवं नवीन दृष्टि का समन्वय भी होना चाहिए। पाश्चात्य विचारक ‘प्रीस्टले’ के अनुसार अच्छा निबंध वही है, जो साधारण बातचीत जैसा प्रकट हो। परन्तु यहाँ यह कहना उपयुक्त होगा कि निबंध में कथ्य एवं वर्ण्य विषय का प्रस्तुतीकरण सहज, सरल, किंचित् विनोदपूर्ण तथा गाम्भीर्य के साथ किया जाना चाहिए।
(7) सरसता - निबंध का र्कोइ निश्चित विषय नहीं होता है। सभी प्रकार के विषय निबंध के लिए उपयुक्त हो सकते हैं, किन्तु शैली की रमणीयता और सरसता निबंध का अनिवार्य अंग है। जैसे - ‘‘निबंध में साहित्यिकता के साथ विचारों की आनन्दमयी स्थिति अनिवार्य है।’’ निबंध में निबंधकार अनुभूतियों एवं भावनाओं के आश्रय से किंचित् कल्पना करता हुआ आत्माभिव्यंजना के द्वारा प्रत्येक विषय को यथारुचि सरस तथा रमणीय बना देता है। भावात्मक-निबन्धों में तो सरसता तथा चित्त-द्रवीभूतता का प्राधान्य होता ही है, अतः यहाँ ‘सरसता’ को निबंध का प्राणतत्त्व कहा जा सकता है।
(8) स्वच्छन्दता - निबंध में निबंधकार एक उपदेशक अथवा उपदेष्टा नहीं होता है। वह अपने कल्पना-जनित वाहन पर आरूढ़ होकर उन्मुक्त विचरण करता है। फिर चाहे वह निबंध का विषय चयन हो, विषयानुकूल उद्धरण-प्रयोग हो अथवा प्रसंग-योजना आदि निर्माण हो। निबंधकार लोक-जीवन, संस्कृति, साहित्य, धर्म, प्रकृति, राजनीति, आदि सृष्टि के समस्त क्षेत्रों में से किसी भी विषय का चयन कर सकता है। वास्तव में कल्पना का आकर्षक एवं उन्मुक्त प्रयोग ‘ललित-निबन्धों’ का आधार तत्त्व होता है। अतः स्वच्छन्दता अथवा उन्मुक्तता के सोद्देश्यपूर्ण विषयबद्ध व कुशल प्रयोग से निबंध की यही विशेषता इसमें जीवंतता और रसवत्ता को प्रदान करती र्हुइ विदग्ध बनाती है।
(9) सुसंगठितता - ‘निबंध’ का अर्थ ही है- ‘अच्छी तरह बंधा हुआ।’ यह कसावट तभी संभव हो सकती है, जब निबंध आकार में सीमित और संक्षिप्त हो, साथ ही उसमें विचारों की गूढ़ परम्परा का सन्निवेश सुसंगठित रूप में हो। विचार, भाव एवं कल्पना - नामक तत्त्वों के यथाप्रसंग समायोजन से ही कसावट संभव है। निबंध में विषयान्तर तत्त्वों या प्रसंगों के अत्यधिक प्रयोग से निबंध की कसावट में ह््रास होता है। अतः निबंध कसावटयुक्त, सुसंगठित एवं शृंखलाबद्ध विचारधारा का व्यवस्थित प्रकाशन है। संभवतः इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का यह मत द्रष्टव्य है- ‘‘निबंध विचारों की गूढ़-गुम्फित परम्परा, जिसमें एक-एक पैराग्राफ में विचार दबा-दबा कर कसे गए हों..’’।
(10) कलात्मक-गद्यात्मकता - यहाँ कलात्मकता का अभिप्राय कलापूर्ण गद्य-शैली के प्रयोग से है। इस विशेषता का दर्शन ‘निबंध’ में पूर्णतः होता है, क्योंकि इसमें भाषा की शक्ति का पूर्ण विकास देखा जा सकता है। निबंध की भाषा-शैली में सूत्रात्मकता, अलंकारिकता, लाक्षणिकता आदि विशिष्टताओं का समन्वय होता है। यहाँ आकर्षक, परिष्कृत एवं लालित्य गुण से समन्वित शैली निबंध के अभिव्यक्ति पक्ष को सुदृढ़ करते हुए कलात्मक गद्य को सुसम्पन्न बनाती है। अतः अन्य विशेषताओं की भाँति यह विशेषता भी ‘निबंध’ में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। उपर्युक्त समग्र विशेषताओं का समन्वय आधुनिक-निबंध विधा में दृष्टिगोचर होता है।
इस विशेषताओं से युक्त ‘निबंध’ गुणात्मक होते हैं। गुणात्मक होने से पठनीय हो जाते हैं और पठनीय होने से पाठक के ज्ञान में विस्तार होता है। फलस्वरूप पाठक में चेतना जागृत होती है तथा चेतना-जागरण से वैयक्तिक तथा सामाजिक-उन्नयन सुनिश्चित होता है। यदि आपके द्वारा लिखे गए निबंध पाठक अर्थात बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में निबंध की कॉपी चेक करने वाले को आकर्षित करने में सफल होती है तो यकीन मानिए आपको निबंध में बहुत अच्छे अंक प्राप्त होंगे।
निबंध पेपर का महत्व
सफलता की संभावना को अधिकतम करने और उच्च अंक प्राप्त करने के लिए उचित कार्यनीति के बिना बिहार लोक सेवा आयोग सहित कोई भी प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की जा सकती है। आयोग ने मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में निबंध को एक विशेष उद्देश्य से समाहित किया। इसका उद्देश्य निम्नलिखित का परीक्षण करना है-
विचारों की नियोजित प्रस्तुति
भाषाई कौशल, अर्थात प्रभावी लेखन कौशल
रचनात्मकता
किसी विषय पर तर्क और प्रतिवाद दोनों विकसित करने की क्षमता और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की क्षमता.
निबंध के अंग
निबंध के 4 अंग होते हैं
शीर्षकः निबंध में हमेशा शीर्षक आकर्षक होना ज़रूरी है। शीर्षक पढ़ने से लोगों में उत्सुकता बढ़ती है।
प्रस्तावनाः निबंध में सबसे श्रेष्ठ प्रस्तावना होती है, भूमिका नाम से भी इसे जाना जाता है। निबंध की शुरुआत में हमें किसी भी प्रकार की स्तुति , श्लोक या उदाहरण से करते हैं तो उसका अलग ही प्रभाव पड़ता है।
विषय विस्तार- निबंध में विषय विस्तार का सर्व प्रमुख अंश होता है, इसके अंदर तीन से चार अनुच्छेदों को अलग-अलग पहलुओं पर विचार प्रकट किया जा सकता है। निबंध लेखन में इसका संतुलन होना बहुत ही आवश्यक है। विषय विस्तार में निबंध कार अपने दृष्टिकोण को प्रकट करते हुए बता सकता है ।
उपसंहार- उपसंहार को निबंध में सबसे अंत में लिखा जाता है। पूरे निबंध में लिखी गई बातों को हम एक छोटे से अनुच्छेद में बता सकते हैं। इसके अंदर हम संदेश, उपदेश , विचारों या कविता की पंक्ति के माध्यम से भी निबंध को समाप्त कर सकते हैं।
निबंध की संरचना
हालांकि निबंध के लिए कोई शब्द सीमा निर्धारित नहीं है। निबंध का आदर्श आकार 850-1000 शब्द होना चाहिए। इस शब्द सीमा के भीतर परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष की क्रमिक व्यवस्था की जानी चाहिए। परिचय में 170-200 शब्द होने चाहिए. आपको निबंध के मुख्य विषय का परिचय देना चाहिए और यह भी कि आप निम्नलिखित अनुच्छेदों में क्या तर्क देने जा रहे हैं. इससे परीक्षक के सामने आपका रुख शुरू में ही स्पष्ट हो जाएगा। निबंध के मुख्य भाग में पांच अलग-अलग पैराग्राफ होने चाहिए। जिनमें से प्रत्येक में 125 शब्द हों.। प्रत्येक पैराग्राफ में विषय पर एक केंद्रीय तर्क होना चाहिए और तर्कों को अलग-अलग वर्गों में व्यवस्थित और जुड़े तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। आपको इन पैराग्राफों में प्रश्न उठाने चाहिए और उनका उत्तर देना चाहिए। आपको दिए गए विषय पर तर्क और प्रतिवाद दोनों पर टिप्पणी करनी चाहिए और अपनी राय बनानी चाहिए। निष्कर्ष 150-175 शब्दों का होना चाहिए। आपको अपने तर्कों को संक्षेप में प्रस्तुत करना चाहिए और आगे का रास्ता भी सुझाना चाहिए। यह ध्यान रहे कि आपके द्वारा लिखे गए निष्कर्ष, भूमिका से पृथक तथा प्रभावकारी होना चाहिए तभी आपका निबंध प्रभावकारी, उत्कृष्ट तथा अधिकतम अंक प्राप्त करने योग्य होंगे।
